
“आरती कीजै हनुमान लला की” एक भक्तिमय गीत है, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। हनुमान जी हिंदू धर्म के प्रिय देवता हैं, जो अपनी असीम शक्ति, भक्ति और साहस के लिए प्रसिद्ध हैं। यह आरती हनुमान जी के दिव्य गुणों और भगवान राम के प्रति उनके अटूट भक्ति का गुणगान करती है।
इस आरती को गाने या सुनने से मानसिक शांति, सुरक्षा और हनुमान जी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। यह आरती प्रायः हनुमान पूजा अनुष्ठानों में गाई जाती है और भक्तों के बीच उनके दिव्य सान्निध्य और कृपा को आमंत्रित करने के लिए लोकप्रिय है।
लिरिक्स – आरती कीजै हनुमान लला की
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥



