
“ॐ जय लक्ष्मी माता” आरती माता लक्ष्मी को समर्पित एक भक्तिमय स्तुति है। माता लक्ष्मी को हिंदू धर्म में धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है। यह आरती माता लक्ष्मी की महिमा का गुणगान करने और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए श्रद्धा के साथ गाई जाती है। सुखी और समृद्ध जीवन की कामना से भक्तजन इस आरती का पाठ करते हैं।
यह आरती सामान्यतः धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान, विशेष रूप से शुक्रवार और दीपावली के अवसर पर गाई जाती है, ताकि माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो और घर में उनका दिव्य वास हो।
लिरिक्स – ॐ जय लक्ष्मी माता आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता ॥ १ ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता ॥ २ ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ३ ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता ॥ ४ ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता ॥ ५ ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता ॥ ६ ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता ॥ ७ ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महालक्ष्मीजी की आरती,जो कोई जन गाता ।
उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥ ८ ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥



