ॐ जय शिव ओंकारा – भगवान शिव की आरती लिरिक्स

ॐ जय शिव ओंकारा आरती

“ॐ जय शिव ओंकारा” एक लोकप्रिय हिंदू आरती (भक्तिमय गीत) है, जो भगवान शिव को समर्पित है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। यह आरती भगवान शिव के दिव्य गुणों और ब्रह्मांड के स्रष्टा, रक्षक और संहारक के रूप में उनके महत्व को दर्शाती है।

यह आरती प्रायः प्रार्थनाओं और धार्मिक अनुष्ठानों में गाई जाती है, ताकि भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो और भक्तों की भक्ति व्यक्त हो सके। “ॐ जय शिव ओंकारा” का पुनरावृत्तिमय और मधुर स्वर एक आध्यात्मिक वातावरण बनाता है, जो मन और आत्मा में शांति और संतुलन लाता है।

लिरिक्स – ॐ जय शिव ओंकारा आरती

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥१॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥२॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥


दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥३॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद चंदा भोले शुभकारी॥४॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
ब्रह्मादिक सनकादिक भूतादिक संगे॥५॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगहर्ता जगपालनकर्ता॥ ६॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥७॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरतीजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥८॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

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