भक्तमाल

पंढरपुर के भक्तराज चोखामेला जी की कथा : जब भगवान विठ्ठल ने उनकी गोद में बैठकर केले खाए!

पंढरपुर के भक्तराज चोखामेला जी की कथा : जब भगवान विठ्ठल ने उनकी गोद में बैठकर केले खाए!

संत चोखामेला जी की कथा भक्ति, प्रेम और परम विश्वास का अद्भुत उदाहरण है। 13–14वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में जन्मे…

भक्त सदन कसाई की कथा: मांस बेचते-बेचते कैसे मिल गए भगवान जगन्नाथ

भक्त सदन कसाई की कथा: मांस बेचते-बेचते कैसे मिल गए भगवान जगन्नाथ

“भक्तमाल”, जिसे गुरु नाभा दास जी ने 1585 में लिखा था, भारतीय संतों और भक्तों की अद्भुत कथाओं का अमूल्य…

भक्त राजा जयमल जी की कथा: जिनकी रक्षा के लिए भगवान ने रणभूमि में स्वयं मोर्चा संभाला

भक्त राजा जयमल जी की कथा: जिनकी रक्षा के लिए भगवान ने रणभूमि में स्वयं मोर्चा संभाला

यह कथा राजस्थान के मेरता राज्य के राजा श्री जयमल जी महाराज की है, जो भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त…

गोवर्धन डाकू की एक रोचक कथा : जब एक डाकू भगवान श्री कृष्ण को लूटने पंहुचा वृन्दावन

गोवर्धन डाकू की एक रोचक कथा : जब एक डाकू भगवान श्री कृष्ण को लूटने पंहुचा वृन्दावन

भक्तमाल ग्रंथ में वर्णित गोवर्धन डाकू की कथा भक्ति और आत्म-परिवर्तन का अद्भुत उदाहरण है। गोवर्धन, जो अपने समय का…

संत जनाबाई जी की कथा: जिनके लिए भगवान विट्ठल ने धोए कपड़े और चलाई चक्की

संत जनाबाई जी की कथा: जिनके लिए भगवान विट्ठल ने धोए कपड़े और चलाई चक्की

भारत के महाराष्ट्र राज्य ने अनेक महान संतों को जन्म दिया है, जिनमें पुरुष संतों के साथ-साथ कई सम्मानित महिला…

भक्त घाटम दास मीणा जी

भक्त घाटम दास मीणा जी की कथा – कैसे एक खानदानी चोर बना ठाकुर जी का भक्त

भक्त घाटम दास, जयपुर रियासत के एक अनोखे कवि-संत, बाद में “महात्मा घाटम दास” के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी…

हास्य से भरा भक्त अढ़ैया जी का प्रसंग: कैसे उन्होंने प्रभु श्रीराम से बनवाया भोजन!

यह कथा हमें यह सिखाती है कि गुरु की आज्ञा का पालन करना कितना आवश्यक है। अढ़ैयाजी ने न तो…

भगत धन्ना जाट की कहानी – कैसे पत्थर से प्रकट हुए भगवान श्रीकृष्ण

भगत धन्ना जाट एक परम वैष्णव भक्त थे, जिनका जन्म राजस्थान के टोंक जिले में एक जाट परिवार में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि उनकी भक्ति इतनी गहन थी कि उन्होंने पत्थर में भी भगवान का साक्षात्कार किया।

वृंदावन के भोंदू की सच्ची कहानी – ठाकुर जी खुद दौड़े उसके पीछे

यह कहानी भोंदू की है, जो अपनी सरलता और सच्चाई के कारण भगवान श्रीकृष्ण के इतने करीब आ गया कि एक दिन वे खुद उसके पीछे दौड़ पड़े।