By BhajanSparsh
Sep 13, 2024
Image Credit : Pinterest
हिन्दू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी और कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
Image Credit : Unsplash
इस दिन भक्त अपने घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना करते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं।
Image Credit : Unsplash
यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन गणेश जी की पूजा और भव्य आयोजन होते हैं। उत्सव के अंतिम दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
Image Credit : Unsplash
आइए जानते है, भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जन की परंपरा के पीछे का इतिहास!
Image Credit : Pinterest
महाभारत कथा के अनुसार एक बार वेद व्यासजी ने गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाई थी, जिसे भगवान गणेश ने लिखा था।
Image Credit : AI
गणेश चतुर्थी के दिन वेद व्यासजी ने कथा सुनानी शुरू की और लगातार 10 दिनों तक अपनी आंखें बंद करके कथा पढ़ते रहे।
Image Credit : AI
10 दिन बाद कथा समाप्त होने पर, आंखें खोलीं तो वेद व्यासजी ने देखा कि इतने दिनों तक लगातार कथा लिखने के कारण भगवान गणेश के शरीर का तापमान बढ़ गया था।
Image Credit : AI
यह देखकर वेद व्यासजी भगवान गणेश को पास के एक तालाब में ले गए और वहां उन्होंने तालाब के पानी से गणपति के शरीर को ठंडा किया।
Image Credit : AI
वह दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था और तभी से इस दिन भगवान गणेश को शीतल करने की परंपरा शुरू हो गई।
Image Credit : Pexels
गणेश विसर्जन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान गणेश हमारे जीवन के सभी कष्टों को हरकर हमें शीतलता और शांति प्रदान करते हैं।
Image Credit : Pinterest