10वें दिन ही क्यों किया जाता है गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन?

By BhajanSparsh

Sep 13, 2024

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हिन्दू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी और कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

गणेश चतुर्थी का पर्व

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इस दिन भक्त अपने घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना करते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं।

स्थापना और पूजा की परंपरा

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यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन गणेश जी की पूजा और भव्य आयोजन होते हैं। उत्सव के अंतिम दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

उत्सव का समय 

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आइए जानते है, भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जन की परंपरा के पीछे का इतिहास!

विसर्जन का कारण जानें

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महाभारत कथा के अनुसार एक बार वेद व्यासजी ने गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाई थी, जिसे भगवान गणेश ने लिखा था।

वेद व्यासजी और महाभारत की कथा

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गणेश चतुर्थी के दिन वेद व्यासजी ने कथा सुनानी शुरू की और लगातार 10 दिनों तक अपनी आंखें बंद करके कथा पढ़ते रहे।

लगातार 10 दिनों तक कथा लेखन 

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10 दिन बाद कथा समाप्त होने पर, आंखें खोलीं तो वेद व्यासजी ने देखा कि इतने दिनों तक लगातार कथा लिखने के कारण भगवान गणेश के शरीर का तापमान बढ़ गया था।

गणेश जी का बढ़ता तापमान

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यह देखकर वेद व्यासजी भगवान गणेश को पास के एक तालाब में ले गए और वहां उन्होंने तालाब के पानी से गणपति के शरीर को ठंडा किया।

गणेश जी को शीतल करने का उपाय

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वह दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था और तभी से इस दिन भगवान गणेश को शीतल करने की परंपरा शुरू हो गई।

विसर्जन की परंपरा की शुरुआत 

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गणेश विसर्जन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान गणेश हमारे जीवन के सभी कष्टों को हरकर हमें शीतलता और शांति प्रदान करते हैं।

विसर्जन का महत्व

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