
“श्याम चूड़ी बेचने आया” भजन में भगवान श्रीकृष्ण के मनोहर और चंचल रूप का सुंदर वर्णन मिलता है, जहाँ वे राधा और गोपियों से मिलने के लिए एक चूड़ीवाले (मणिहारी) का भेष बनाते हैं। साधारण वेशभूषा में, कृष्ण गाँव की गलियों में पहुँचते हैं और रंग-बिरंगी चूड़ियाँ बेचने लगते हैं।
गोपियाँ उनके वास्तविक स्वरूप से अनजान होकर खुशी-खुशी चूड़ियाँ चुनने लगती हैं, जबकि राधा को इस आकर्षक चूड़ीवाले में अपना प्यारा श्याम दिखाई देता है। यह भजन राधा-कृष्ण के मधुर प्रेम, भक्ति और दिव्य लीलाओं का प्रतीक है, जहाँ कृष्ण की प्रत्येक लीला आनंद, प्रेम और आध्यात्मिकता से भरी होती है।
श्याम चूड़ी बेचने आया भजन लिरिक्स
मनिहारी का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
झोली कंधे धरी, उस में चूड़ी भरी। (३)
गलियों में शोर मचाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
राधा ने सुनी, ललिता से कही। (३)
मोहन को तरुंत बुलाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
चूड़ी लाल नहीं पहनू, चूड़ी हरी नहीं पहनू। (३)
मुझे श्याम रंग है भाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
राधा पहनन लगी श्याम पहनाने लगे। (३)
राधा ने हाथ बढाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
राधे कहने लगी, तुम हो छलिया बढे। (३)
धीरे से हाथ दबाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
मनिहारी का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥
मनिहारी का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥



